भारतीय पंचांग में अधिक मास एक महत्वपूर्ण और रोचक विषय है। हिन्दू धर्म में अधिक मास को एक अलग पर्याय या उपयुक्त मास के रूप में गणना किया जाता है, जो साल में एक या दो बार आता है। इस लेख में, हम अधिक मास के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे और इसके महत्व को समझेंगे।
अधिक मास क्या है? अधिक मास एक सांख्यिकीय एवं वैदिक अंश है जो कई पंचांगों में उपयोग होता है। यह अत्यंत मान्यता पूर्वक माना जाता है और इसे संस्कृत में “मालमास” कहा जाता है। इस मास की अवधि विभिन्न पंचांगों और क्षेत्रों के अनुसार बदलती है, लेकिन यह मास लगभग 29 या 30 दिनों की होती है। यह मास वैशाख और ज्येष्ठ मास के बीच आता है, जब वार्षिक मास ज्येष्ठ मास में समाप्त हो जाता है और आगामी साल का वैशाख मास शुरू होता है।
अधिक मास का महत्व: अधिक मास को हिन्दू परंपरा में विशेष महत्व दिया जाता है। इस मास को संगठित रूप से अवधारित किया जाता है और धार्मिक कार्यों और पूजाओं के लिए उपयुक्त माना जाता है। अधिक मास में विशेष पूजाओं, व्रतों, और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह मास धार्मिक उपासना, स्वाध्याय, और तपस्या के लिए अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।
अधिक मास की मान्यता के पीछे कारण: अधिक मास के पीछे कई कारण हैं जो इसे एक महत्वपूर्ण मास बनाते हैं। इस मास में मान्यता देने के पीछे कुछ प्रमुख कारणों में से कुछ निम्नलिखित हैं:
- ऋषियों की आदर्श जीवनशैली के अनुसार, अधिक मास को अनुसरण करना मन्दिरों में और परम्परागत कार्यक्रमों में प्रमुख भूमिका निभाता है।
- अधिक मास में धार्मिक संगठनों द्वारा विशेष पूजा, व्रत, और प्रवचनों का आयोजन किया जाता है।
- अधिक मास में विभिन्न आराध्य देवताओं और देवीदेवताओं की पूजा की जाती है और इसे अपने आप को शुद्ध और धार्मिक व्यवहारों के लिए समर्पित करने का उद्देश्य रखा जाता है।
- अधिक मास को संसार की माया और अपार्थिविक बंधनों से मुक्त होने और आध्यात्मिक उन्नति के लिए एक अद्वितीय अवसर के रूप में मान्यता दी जाती है।
अधिक मास हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक तिथि है जो हमें आध्यात्मिक विकास और सम्पूर्णता की ओर अग्रसर करती है। इस अद्वितीय मास के दौरान हमें अपने मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक तत्वों का समान्वय स्थापित करने का अवसर मिलता है। अधिक मास के आगमन पर हमें इसे उपयोगी और पवित्र तथ्यों के रूप में स्वीकार करना चाहिए और इसे धार्मिक उपासना और सेवा में सक्रियता लाना चाहिए।
आशा है कि यह आपको अधिक मास के बारे में उपयोगी जानकारी प्रदान करेगा। यह हमारी वैदिक और सांस्कृतिक परंपरा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और हमें हमारे धार्मिक उपासना को गहनता और आत्मसात करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।
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