एक बार ब्रह्माजी दुविधा में पड़ गए। लोगों की बढ़ती साधना वृत्ति से वह प्रसन्न तो थे पर इससे उन्हें व्यावहारिक मुश्किलें आ रही थीं। कोई भी मनुष्य जब मुसीबत में पड़ता, तो ब्रह्माजी के पास भागा-भागा आता और उन्हें अपनी परेशानियां बताता। उनसे कुछ न कुछ मांगने लगता। ब्रहाजी इससे दुखी हो गए थे। अंतत: उन्होंने इस समस्या के निराकरण के लिए देवताओं की बैठक बुलाई और बोले, ‘देवताओं, मैं मनुष्य की रचना करके कष्ट में पड़ गया हूं। कोई न कोई मनुष्य हर समय शिकायत ही करता रहता है, जिससे न तो मैं कहीं शांति पूर्वक रह सकता हूं, न ही तपस्या कर सकता हूं। आप लोग मुझे कृपया ऐसा स्थान बताएं जहां मनुष्य नाम का प्राणी कदापि न पहुंच सके।’
ब्रह्माजी के विचारों का आदर करते हुए देवताओं ने अपने-अपने विचार प्रकट किए। गणेश जी बोले, ‘आप हिमालय पर्वत की चोटी पर चले जाएं।’ ब्रह्माजी ने कहा, ‘यह स्थान तो मनुष्य की पहुंच में है। उसे वहां पहुंचने में अधिक समय नहीं लगेगा।’ इंद्रदेव ने सलाह दी कि वह किसी महासागर में चले जाएं। वरुण देव बोले ‘आप अंतरिक्ष में चले जाइए।’
ब्रह्माजी ने कहा, ‘एक दिन मनुष्य वहां भी अवश्य पहुंच जाएगा।’ ब्रह्माजीनिराश होने लगे थे। वह मन ही मन सोचने लगे, ‘क्या मेरे लिए कोई भी ऐसा गुप्त स्थान नहीं है, जहां मैं शांतिपूर्वक रह सकूं।’ अंत में सूर्य देव बोले, ‘आप ऐसा करें कि मनुष्य के हृदय में बैठ जाएं। मनुष्य इस स्थान पर आपको ढूंढने में सदा उलझा रहेगा।’ ब्रह्माजी को सूर्य देव की बात पसंद आ गई। उन्होंने ऐसा ही किया। वह मनुष्य के हृदय में जाकर बैठ गए। उस दिन से मनुष्य अपना दुख व्यक्त करने के लिए ब्रह्माजीको ऊपर ,नीचे, दाएं, बाएं, आकाश, पाताल में ढूंढ रहा है पर वह मिल नहीं रहे। मनुष्य अपने भीतर बैठे हुए देवता को नहीं देख पा रहा है।
संकलन-विजय कुमार सिहं
नवभारत टाइम्स में प्रकाशित
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waah sahi,har insaan mein ishwar ka niwas hai,jarurat hai bas pechan jane ki,sunder kahani.
sundar ! achcha vritaant hai.
नरेश जी,
क्या बात कर रहे हो. सभी तो कहते हैं कि ईश्वर अपने ही मन में है. मेरे मन में भी है. लेकिन….लेकिन……लेकिन….
बात भी सही है आपकी.
बहुत सेफ स्थान बताया बह्माजी को!
Gud attempt Naresh!!!
nice suggestion for people………
thanx, is chhoti si kahani se bahut kuch samazh sakta hai insaan,par wah is baat ko samazhna hi nahi chahta… Lekin aap ne yah bahut hi sahi salah di hai,,, har insaan me bhagwan hota hai.
apki story bahut pasand aai mujhe
good
Achi hai
very good
ekdam sahi kahani hai. hum sach me apne andar nahi dekhte us iswar ko. very good
wow