विश्वास

मेरे आफिस के नीचे कोई 70-75 साल का एक बुढा अक्सर भीख माँगता है. आज आफिस पहुँचा तो भीग चुका था, सुबह से ही बारिश हो रही थी. जल्दी-जल्दी सीढियाँ चढते हुए उस भिखारी पर नजर पडी. एक अजीब सी मायूसी झलक रही थी चेहरे पर. बारिश के चलते लोगों की आवाजाही कम थी शायद इस लिये उदास था. तभी मेरी नजर कुछ बच्चों पर पडी जो बारिश में भीगे थे. वो दौड कर उस भिखारी के पास आये और उससे बातें करने लगे. कुछ उत्सुकता सी हुई, मैं रुक गया और उनकी बातें सुनने लगा. उन बच्चों के हाथों में पैन के बंडल थे और वो भिखारी को पैन दिखाने लगे. भिखारी ने मुस्कुरा कर कहा, “मुझे नहीं चाहिये”. नहीं बाबा हम तुम्हें ये पैन बेचने नहीं आए. तुम बस इन पर हाथ रख दो तो ये हमारे सभी पैन बिक जायेंगे, बच्चे ने बडे विश्वास के साथ कहा. वो बुढा भिखारी आँखों में आँसू लिये अपलक उस बच्चे को निहारता रहा और पैन के बंडल पर हाथ रख कर आशिर्वाद दिया. वो बच्चे खुश होकर सिग्नल की तरफ दौडे.

बुढे के चेहरे पर मायूसी की जगह अब एक चमक थी. पता नहीं क्यों? कुछ मिला तो नहीं था उसे. हाँ, कुछ ले गये थे वो बच्चे उससे. कुछ मैंने भी महसूस किया था अपने चेहरे पर. कुछ बारिश जैसी ही तो थीं वो आँसूं की बूँदें.

(ये घटना दिल्ली के क्नाट प्लेस, जनपथ की है)

 

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भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला 2011 (IITF 2011)

शनिवार 19 नवम्बर को मैं अपने मित्र रमेश के साथ बहुप्रतिक्षित भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले की सैर करने गया. दिल्ली मैट्रो यहाँ आने का सबसे सुगम साधन माना जाता है. लेकिन स्टेशन से बाहर निकलते ही हजारों की संख्या में लाईन में लगे लोगों को देखकर सारा उत्साह गायब हो गया. टिकिट चैक करवाने और चैकिंग करवाने के लिये लंबी लाईन लगी हुई थी. इसमें करीब 40 मिनिट लगे. यहाँ से प्रगती मैदान का गेट न. 10 पडता है.  पुलिस वालों ने यह गेट बंद कर दिया था और लोगों को  अगले गेट न. 2 पर भेज रहे थे. लेकिन लोग लाईन में लगे हुए इतने थक चुके थे कि वो वहाँ से हिलने का नाम नहीं ले रहे थे. हारकर पुलिस वालों को गेट खोलना ही पडा.

Entrance
Entrance from Gate No. 10 (Metro Side)

इस गेट पर एक बात देखकर बडी हैरानी हुई. वह यह कि गेट के बाहर पंद्रह रूपय वाली पानी की बोतल खुलेआम बीस रूपय में बिक रही थी. पता नहीं इतने बडे व्यापार मेले में सरकार क्यों इन लोगों पर लगाम नहीं लगाती. थके हारे लोगों को पैसे से ज्यादा अपनी प्यास सता रही थी. ऐसे में किसी का भी ध्यान इस बात की तरफ नहीं जा रहा था.

हम करीब एक बजे गेट के अंदर पहुँच चुके थे. सामने लगे खंभे पर ऐयर इंडिया के साहब स्वागत करते नजर आये. बाहर जितनी भीड नजर आ रही थी अंदर उसके मुकाबले काफी कम थी.

IITF 2011
Air India Welcomes You
Way

सबसे पहले हमने सरस मेले की तरफ चल दिये. सरस मेला ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 1999 – 2000 के दौरान ग्रामीण उत्पाद को बढ़ावा देने और ग्रामीणों के लिये स्वरोजगार का निर्माण करने के लिए उठाए गए कदमों में से एक है.  1999 से अबतक सरस मेला हर वर्ष भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले का हिस्सा बनता आया है.

Saras Mela IITF 2011
Saras Mela IITF 2011

यहाँ मैंने और रमेश ने एक गर्म जैकेट रू. 650/- की पसंद आयी. मोल-भाव करने के बाद दुकानदार बलबीर ने रू. 475/- प्रति जैकेट हमें दे दी. खरीदने से पहले हमने अच्छी तरह से पहन कर खूब फोटो खिंचवायीं. गर्म टोपी जो कि शिमला आदि पहाडों पर 30-40 रूपय में मिल जाती है उसे बलबीर रू. 350/- में बेच रहे थे. वो डील हमें पसंद नहीं आयी.

सरस मेले में काफी सारी घर सजाने की वस्तुयें सस्ते दामों में उपल्बध थीं. बस पैसे होने चाहियें.

Ramesh at IITF 201
Ramesh at IITF 201

यहाँ से निकलते ही सामने नजर आया मेरा प्रिय भारतीय रेलवे. यहाँ काफी सारे कोच और ईंजनों के माडल्स रखे थे. हर साल की तरह. बीच में एक कोच का बडा माडल भी नजर आया. यहाँ जो नयी बात दिखी वो थी नुक्कड नाटक. जिसमें कलाकारों ने बताया कि किस तरह लोग रेल यात्रा में लोगों को कुछ खिला-पिला कर उन्हें बेहोश कर कर लूट लिया जाता है.

Bhartiya Rail IITF 2011
Bhartiya Rail IITF 2011

इसके बाद हम मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, आंध्र प्रदेश आदि मंडपों में घूमें. बहुत सी जानी पहचानी चीजें नजर आयीं. पंजाब मंडप में अमृतसरी पापड-वडियों वाले सरदार जी खुले-आम पालीथीनों में सामान बेचते नजर आये. इस मेले में पालीथीन के प्रयोग पर बैन लगा हुआ था. पूछने पर सरदार जी बोले की आप मत लीजीये पालीथीन हमें तो सामान बेचना है हम तो यूज करेंगे ही.

पंजाब मंडप की प्रसिद्ध खीर नदारद थी. इस खीर पर हर वर्ष लोग पागलों की तरह टूटते हैं और खीर कुछ ही घंटों में खत्म हो जाती है. आंध्र प्रदेश मंडप में एक भाई साहब “कैसा भी दाग छुडायें” के नाम पर कुछ कैमीकल जैसी चीजें बेच रहे थे. बहुत सी जांच-पडताल करने के बाद रमेश ने एक सैट खरीद लिया. आंध्र प्रदेश मंडप से हमने बहुत से अचार, सौंफ, राम-लड्डू इत्यादि भी खरीदे. सभी सामान हमें प्लास्टिक की पालीथीनों में ही दिया गया.

अबतक करीब चार बज चुके थे भूख चरम पर थी. हम सीधे प्रगति फूड कोर्ट कि तरफ भागे. वहाँ दाल मक्खनी-नान (रू. 70) और पनीर-नान (रू. 80) में लिये. यहाँ खाना खाने के लिये बहुत से टेबल और कुर्सियां लगी थीं. कम-से-कम यहाँ 700-800 लोग एक साथ खाना खा रहे थे. ये हमें बहुत अच्छा लगा. इस बार किसी भी मंडप में खाने की सुविधा नहीं थी. लेकिन यहाँ पर भी पानी की बोतल और कोल्ड ड्रिंक की बोतल अधिकतम मूल्य से ज्यादा दामों में मिल रही थी. आयोजकों को इसकी कोई चिंता नहीं थी.

शाम के करीब 5.30 बज चुके थे और थकान भी बहुत हो गयी थी. अब घर जाने की जल्दी होने लगी. हम गेट न. 3 से बाहर निकले और सीधा बस पकडी मंडी हाऊसे के लिये. हम प्रगती मैदान से मैट्रो नहीं पकडना चाहते थे क्योंकि प्लेटफार्म पर पहुंचने के लिये इस स्टेशन पर कम से कम एक घंटा लग जाता.

मंडी हाऊसे से मैट्रो पकडकर हम 40 मिनिट में अपने घर पहुंच चुके थे.

Andhra God at IITF 2011
God at IITF 2011
Me
Ramesh at IITF 2011
Bhagwan JI
Delhi Pavilion at IITF 2011
Delhi Pavilion at IITF 2011

Saras Mela
Saras Mela

Raw Key Chain
Key Chain at IITF 2011