एक बार कुदरत के सातों रंगों के बीच बहस छिड़ गई। प्रत्येक रंग यह साबित करने में लगा था कि वही सब से श्रेष्ठ है। सबसे पहले हरे रंग ने कहा कि वह जीवन और हरियाली का प्रतीक है, इसलिए ईश्वर ने उसका चयन खास तौर पर पत्तों के रंग के लिए किया है।

धरती का एक बड़ा भाग हरियाली से ढका हुआ है। नीले रंग ने उसकी बात काटते हुए कहा, ‘आकाश व समुद का रंग नीला है। जल ही जीवन है। नीला जल नीले आकाश के बादलों से होकर नीले समुद्र में समा जाता है। बिना इस चक्र के विकास संभव नहीं, इसलिए मैं तुम सबसे श्रेष्ठ हूं।’

तब पीला रंग बोला, ‘पीला खुशहाली का प्रतीक है। सूरज पीला है। पीली सूरजमुखी सारी दुनिया में हंसी व खुशी देती है। इसलिए मैं ही सर्वश्रेष्ठ स्थान का अधिकारी हूं।’ तभी नारंगी रंग ने कहा, ‘मैं मिठास और स्वास्थ्य का प्रतीक हूं। सभी मीठे व लाभकारी फलों पपीता, गाजर, आम व संतरा की छटा नारंगी है।’ तभी जामुनी रंग ने कहा, ‘श्रेष्ठ तो मैं हूं क्योंकि मैं पानी की गहराई व मन की शांति का प्रतीक हूं।’

वर्षा ऋतु रंगों की इस सारी बहस को ध्यान से सुन रही थी। वह पास आकर बोली, ‘तुम सभी श्रेष्ठ हो। सभी को ईश्वर ने किसी न किसी खास कारण से बनाया है। लेकिन सर्वश्रेष्ठ है तुम सबका एक साथ होना। रंगों को यह उपदेश जैसी बात अच्छी नहीं लगी, वे तो सिर्फ अपनी तारीफ सुनना चाहते थे। तभी आकाश में जोर से बिजली कड़की। सभी रंगों ने डर कर एक-दूसरे का हाथ पकड़ लिया और आकाश में बड़ा-सा इंद्रधनुष दिखाई देने लगा। रंगों ने देखा, सभी उनकी छटा निहार रहे थे। वर्षा ऋतु ने हंस कर समझाया, ‘तुम सबके अलग-अलग प्रशंसक हैं, लेकिन तुम्हारा एक साथ होना संपूर्ण जगत के लिए सुंदरता और जीवन का संदेश है।’ इसके बाद रंगों ने कभी एक-दूसरे से झगड़ा नहीं किया।

संकलन : अनामिका कौशिक
नवभारत टाइम्स में प्रकाशित

आकाश व समुन्द्र, नीला रंग, पीला रंग, नारंगी रंग, जामुनी रंग, आम व संतरा, हरा रंग, संतरी रंग, सभी श्रेष्ठ हो,
संपूर्ण सुंदरता, पानी की गहराई, खुशहाली का प्रतीक, वर्षा ऋतु, बिजली कडकी, बडा सा इंद्रधनुष, एक साथ, मीठे व लाभकारी फल, aakash va samundra, nila rang, pila rang, narangi rang, jamuni rang, aam va santra, hara rang, santri rang, sabhi shreshta ho, sampoorna sundarta, pani ki gaharhai, khushali ka pratik, varsha ritu, bijli kadki, bada sa indhradhanush, ek saath, mithe va labhkari fal, pryas, pryas ka blog, purani kahaniyan, yah bhi khoob rahi, नरेश का ब्लौग, पुरानी कहानीयाँ, प्रयास, प्रयास का ब्लौग, यह भी खूब रही

Advertisement

7 विचार “संपूर्ण सुंदरता&rdquo पर;

  1. क्या तारीफ कंरु इस लेख की आपने तो रंगो की भाषा को शब्दो में पिरोकर ऐसा कमाल कर दिया के मेरे मुंह से पढ़ने के बाद एक ही शब्द निकला वह था ‘वाह और वाह’

  2. क्या तारीफ कंरु इस लेख की आपने तो रंगो की भाषा को शब्दो में पिरोकर ऐसा कमाल कर दिया के मेरे मुंह से पढ़ने के बाद एक ही शब्द निकला वह था ‘वाह और वाह’ वाह’ वाह’ वाह’

टिप्पणियाँ बंद कर दी गयी है।