चाणक्य एक जंगल में झोपड़ी बनाकर रहते थे। वहां अनेक लोग उनसे परामर्श और ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते थे। जिस जंगल में वह रहते थे, वह पत्थरों और कंटीली झाडि़यों से भरा था। चूंकि उस समय प्राय: नंगे पैर रहने का ही चलन था, इसलिए उनके निवास तक पहुंचने में लोगों को अनेक कष्टों का सामना करना पड़ता था। वहां पहुंचते-पहुंचते लोगों के पांव लहूलुहान हो जाते थे।
एक दिन कुछ लोग उस मार्ग से बेहद परेशानियों का सामना कर चाणक्य तक पहुंचे। एक व्यक्ति उनसे निवेदन करते हुए बोला, ‘आपके पास पहुंचने में हम लोगों को बहुत कष्ट हुआ। आप महाराज से कहकर यहां की जमीन को चमड़े से ढकवाने की व्यवस्था करा दें। इससे लोगों को आराम होगा।’ उसकी बात सुनकर चाणक्य मुस्कराते हुए बोले, ‘महाशय, केवल यहीं चमड़ा बिछाने से समस्या हल नहीं होगी। कंटीले व पथरीले पथ तो इस विश्व में अनगिनत हैं। ऐसे में पूरे विश्व में चमड़ा बिछवाना तो असंभव है। हां, यदि आप लोग चमड़े द्वारा अपने पैरों को सुरक्षित कर लें तो अवश्य ही पथरीले पथ व कंटीली झाडि़यों के प्रकोप से बच सकते हैं।’ वह व्यक्ति सिर झुकाकर बोला, ‘हां गुरुजी, मैं अब ऐसा ही करूंगा।’
इसके बाद चाणक्य बोले, ‘देखो, मेरी इस बात के पीछे भी गहरा सार है। दूसरों को सुधारने के बजाय खुद को सुधारो। इससे तुम अपने कार्य में विजय अवश्य हासिल कर लोगे। दुनिया को नसीहत देने वाला कुछ नहीं कर पाता जबकि उसका स्वयं पालन करने वाला कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंच जाता है।’ इस बात से सभी सहमत हो गए।
संकलन: रेनू सैनी
नवभारत टाइम्स में प्रकाशित
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तभी तो चाणक्य महान हैं।
the greate channdakya
chandkya gee ka vichar bahut ucha tha tabhi to ek charwahe ko raja banaya
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
sundar
प्रेरणादायी कथा ।
प्रेरक कथा के लिये धन्यवाद
प्रणाम
Aisi hi baate to chanakya ko mahan banati hai.
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति है!!
***शुभकामनाएं***
It is ver ynice and fruitful story.
Chankya jaise vidyavan log is pirthvi m hazaroo salo m ek bar ate h.
chanakyaji ko naman unki budhi ko naman prabhuji ke charno me pranam
okkkkkkkkkkkk
is shikh ko mai bhi apnaunga. chankya ji tussi great ho.
This is too glade for our political peoples and us.
Chandakya was a very good thinker and good piece of knowledge he had.
चाणक्य एक जंगल में झोपड़ी बनाकर रहते थे। वहां अनेक लोग उनसे परामर्श और ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते थे। जिस जंगल में वह रहते थे, वह पत्थरों और कंटीली झाडि़यों से भरा था। चूंकि उस समय प्राय: नंगे पैर रहने का ही चलन था, इसलिए उनके निवास तक पहुंचने में लोगों को अनेक कष्टों का सामना करना पड़ता था। वहां पहुंचते-पहुंचते लोगों के पांव लहूलुहान हो जाते थे।
एक दिन कुछ लोग उस मार्ग से बेहद परेशानियों का सामना कर चाणक्य तक पहुंचे। एक व्यक्ति उनसे निवेदन करते हुए बोला, ‘आपके पास पहुंचने में हम लोगों को बहुत कष्ट हुआ। आप महाराज से कहकर यहां की जमीन को चमड़े से ढकवाने की व्यवस्था करा दें। इससे लोगों को आराम होगा।’ उसकी बात सुनकर चाणक्य मुस्कराते हुए बोले, ‘महाशय, केवल यहीं चमड़ा बिछाने से समस्या हल नहीं होगी। कंटीले व पथरीले पथ तो इस विश्व में अनगिनत हैं। ऐसे में पूरे विश्व में चमड़ा बिछवाना तो असंभव है। हां, यदि आप लोग चमड़े द्वारा अपने पैरों को सुरक्षित कर लें तो अवश्य ही पथरीले पथ व कंटीली झाडि़यों के प्रकोप से बच सकते हैं।’ वह व्यक्ति सिर झुकाकर बोला, ‘हां गुरुजी, मैं अब ऐसा ही करूंगा।’
इसके बाद चाणक्य बोले, ‘देखो, मेरी इस बात के पीछे भी गहरा सार है। दूसरों को सुधारने के बजाय खुद को सुधारो। इससे तुम अपने कार्य में विजय अवश्य हासिल
बहुत अच्छा लगा
चाणक्य अपनी नीति के कारण इतिहास प्रसिद्ध हुआ ।यह प्रेरणादायक प्रसंग मुझे बहुत अच्छा लगा।धन्यवाद
It is a very good story. I liked it very much.
चाणक्य नीति जग जाहिर है इसे हम सब को अच्छी तरह से अपने जीवन में उतारना चाहिये
चाणक्य नीति हम सब को अच्छी तरह से अपने जीवन में उतारना चाहिये
bahot achhi kaani hai.
very nice answer
n
me product
VERY NICE STORY AND VERY USEFULL AND TOP STORY
चाणक्य तो चाणक्य है
Chandaky is great man of world he is cleaver man in world
महोदय,आपके websites में मौजूद कथाओं के द्वारा हम अपने छात्रों के शैक्षिक,सामाजिक,सांस्कृतिक,राष्ट्रीय एवं नैतिक मूल्यों के विकास हेतु आपकी उपदेश प्रेरक कथाएं व उनके संदर्भों का उपयोग अपने Hindi Reading Cards में करने के इच्छुक हैं । हम यह कार्य किसी प्रचार माध्यम या आर्थिक लाभ के लिए नहीं करना चाहते हैं अपितु शिक्षा हेतु करना चाहते हैं । मूल सूत्र कथा को छुए बगैर आंशिक रूप से छात्रों के स्तरानुसार इनमें परिवर्तन करेंगे ।
बेसब्री से आपके लिखित अनुमोदन हेतु
आपके निवेदक(पद्मजा,सुषमा,सरसवाणी- प्राथमिक शिक्षिकाएँ)
केंद्रीय विद्यालय २- गोलकोंडा ( हैदराबाद)
renu ji aap ki kahani acchi lagi. aapki mai id kya hai.
manushya ko apne aap ko sudharte rahna chahiye.
i am hppy
iman dari aak sach ha
ajay kinha rohrai thank for c
Good yaar. but ye batao ki kya chadkya kabhi itne khus hote the kya jo muskara kar bole.wo aggrasive personality the
chanakya ka itihas kya hai? chankya aur chandra gupt ka sath kya ek keval ,dhanand ke charo taraf hi rahta hai?
mast kahani
chmatkar ko namskar hai
mahan purush sadhran bato me bahut kuch shikha jate hai,,,,
ye ghadaky neeti jeevn me utarne yogaya ha
Chanakya vilakshan budhdhi ke dhani the ve har baat ka yogya tathya batate the jiaka aaj bhi ham fayda utha sakte the….
Mujhe ye kahani bahot pasand aayee
Chanakya ke vichar ka main samman karta hoon.
channakya mahan the
me bhi apni email id per aaple vichar chahata hu
Aati sundar prastuti
Best of writer in hindu dharma …
kahani bahut achchhi hai. bachcho ko shiksha dene wali.
chankya is the best…
ager isi parkar achhe vdwan achhe sandesh den ya likhen aur isi parkar sabhi log paden aur samjhen to des dubara se sone ki chidia kahlaye ga. lekhak ko mera bahut bahut danyavad.
This story has a great lesson.
Chanakya was a great peron and “Chanakya Neeti” is a great book which compiles many useful tips about life. I really pleased to read all the comments. It shows that this blog is very popular.
Regards.
is story ka moral apna liya jaye to life me positive change confirm hai
Best of Writer in Hendu Dharma……….
Verri Best of Writer in Hendu Dharma……….
नादान है वो बच्चे जो गुरू का अपमान करते है
गुरू वो तत्व है जिसे देवता भी नमन करते है
बहुत अच्छा
wah wah kya story h
ise hi dimag kahate h
very very nice