उस समय की बात है, जब विख्यात बांग्ला लेखक शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने लेखन की शुरुआत ही की थी। उन दिनो कई बार तो उनकी रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं से लौटा दी जाती थीं और प्रकाशित होने पर भी उन्हें दूसरे लेखकों की तुलना में कम पारिश्रमिक मिलता था। इसी संकोच के कारण कई बार तो वह कहानी लिख कर भी छपने के लिए कहीं नहीं भेजते थे।

एक बार उन्होंने अपनी ‘स्वामी’ शीर्षक रचना उस समय की चर्चित पत्रिका ‘नारायणा’ में छपने के लिए भेजी। पत्रिका के संपादकों को यह रचना इतनी पसंद आई कि दूसरे ही दिन वह पत्रिका के पहले पेज पर छाप दी गई। उस समय नारायणा में प्रकाशित एक कहानी या लेख का पारिश्रमिक कम से कम पचास रुपये हुआ करता था। लेकिन कई बार इससे ज्यादा पारिश्रमिक भी दिया जाता था। इसका निर्णय रचना का स्तर और लेखक की प्रतिष्ठा को देखकर संपादकगण करते थे।

लेकिन शरतचंद्र की इस रचना के बारे में संपादक मंडल कोई निर्णय नहीं ले सका। यह तय हुआ कि इसका फैसला शरतचंद्र जी स्वयं करें। दो दिनों के बाद उनके पास पत्रिका के कार्यालय से एक कर्मचारी आया और उन्हें प्रधान संपादक की एक चिट्ठी सौंपी। चिट्ठी के साथ एक हस्ताक्षरित ब्लैंक चेक भी था। पत्र में लिखा था, ‘हस्ताक्षर करके खाली चेक आप को भेज रहा हूं। एक महान लेखक की इस महान रचना के लिए मुझे बड़ी से बड़ी रकम लिखने में भी संकोच हो रहा है। इसलिए कृपा करके खाली चेक में स्वंय ही अपना पारिश्रमिक डाल लें। मैं आप का आभारी रहूंगा।’

शरतचंद ने पत्र पढ़ा। फिर राशि की जगह केवल 75 रुपये भरकर प्रधान संपादक को पत्र लिखा, ‘मान्यवर, आप ने मुझे जो सम्मान दिया है उसका कोई मुल्यांकन नहीं किया जा सकता। आप का यह पत्र मेरे लिए बेशकीमती है। यही मेरा सम्मान है।’ उनका पत्र पढ़कर संपादकगण बेहद प्रभावित हुए। इसके बाद शरतचंद्र की कई महत्वपूर्ण रचनाएं प्रकाशित हुईं और उन्हें अपार लोकप्रियता मिली।

संकलन: सुरेश सिंह
नवभारत टाइम्स में प्रकाशित

शरतचंद्र चट्टोपाध्याय, पत्र-पत्रिकाओं, प्रयास, प्रयास का ब्लौग, यह भी खूब रही, नरेश का ब्लौग, पुरानी कहानियाँ, विक्रम वेताल, सिंहासन बत्तिसी, pryas, pryas ka blog, yah bhi khoob rahi, naresh ka blog, purani kahaniyan, vikram betaal, singhasan battisi, naresh seo, seo naresh blog, online internet marketing, seo, रचना का सम्मान, rachna ka samman

Advertisement

रचना का सम्मान&rdquo पर एक विचार;

टिप्पणियाँ बंद कर दी गयी है।